विवाद से विश्वास स्कीम 2020 कुछ महत्वपूर्ण बातें
1.विवाद से विश्वास स्कीम में निम्न विवादित केसेज में लाभ लिया जा सकता है commissioner (appeals), Income Tax Appellate Tribunals (ITAT), high courts, the Supreme Court and those in international arbitration.
2.विवाद से विश्वास स्कीम में केवल 100% विवादित टैक्स 31.3.2020.तक चुका कर ब्याज और पैनल्टी से पूर्ण मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। 31.3.2020 के बाद और 30 जून 2020 के पहले 110% जमा कराना पड़ेगा। जिन मामलों में डिपार्टमेंट अपील में गया है वहां पर मात्र 50% विवादित टैक्स (तलाशी मामले में 62.5%) ही जमा कराना है। तलाशी के मामलो में 100% विवादित टैक्स की जगह 135 पर्सेंट विवादित टैक्स लगेगा।
3.अगर किसी केस में केवल ब्याज या पेनल्टी का डिस्प्यूट है तो उसका मात्र 25% 31.3.2020 तक देकर मुक्ति पाई जा सकती है। 31.3.2020 के बाद और 30 जून 2020 के पहले 30% जमा कराना पड़ेगा।
4.इस योजना का उपयोग न केवल टैक्स विवाद से जुड़े मामले में साथ ही पांच करोड़ रुपये तक की वसूली से जुड़े तलाशी-जब्त की कार्रवाई में भी किया जा सकता है।
5.इसमें यह भी कहा गया है कि घोषणाकर्ता ने अगर अपील के चरण में राशि का भुगतान किया है और वह योजना के तहत देय रकम से अधिक है तो वह पैसा वापस पाने का हकदार होगा।
6.प्रमाण पत्र जारी होने के बाद विवादित टैक्स जमा कराने के बाद डिपार्टमेंट एक आदेश जारी करेगा और यह आदेश पूरी तरह निर्णात्मक होगा और इसे देश या विदेश की किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
7.विवाद से विश्वास स्कीम में अब वे लोग भी फायदा उठा पाएंगे जिनके आर्डर 31 जनवरी से पहले हो गए थे लेकिन अपील फाइल करने का समय अवधि होने के कारण अपील फाइल नहीं की है। लोकसभा ने इसका बिल पास कर दिया है और अब राज्यसभा तथा राष्ट्रपति के बाद विधिवत रूप से कानून बन जाएगा अगले सोमवार से जो निर्धारिती इस का लाभ उठाना चाहते हैं वह लाभ उठा पाएंगे। इस अच्छी स्कीम के कारण आयकर दाता भी लाभ उठाएंगे तथा सरकार को भी 9 लाख करोड रुपए से ज्यादा रेवेन्यू की उम्मीद है। न्यायालयों पर भी अपीलों का भार कम होगा।
8.कौन नहीं ले सकते हैं स्कीम का फायदा?
अ.सेक्शन 153ए 153सी के तहत किए गए एसेसमेंट ऑर्डर।
आ.जहां डेक्लेरेशन फाइल करने से पहले देनदारी वाजिब सिद्ध हो गई हो।
इ. भारत से बाहर के स्रोत से छुपाई गई इनकम।
ई. सेक्शन 90 या सेक्शन 90 से जुड़े मामलों।.
उ. डेक्लेशन फाइल करने से पहले जहा हिरासत का आदेश पारित हो चुका। करदाता प्रॉसीक्यूशन को कंपाउंड करा कर इस योजना का लाभ ले सकता है
ऊ. आयकर सर्च कैसेज के वे ऑर्डर जिसमें डिस्प्यूटेड टैक्स डिमांड 5 करोड़ है। यह 5 करोड की सीमा प्रति वर्ष प्रति ऑर्डर के हिसाब से है।
9.कुछेक संदेह भी है जिसका स्पष्टीकरण बहुत जरूरी है अन्यथा बाद में अपीलों का भार बढ़ेगा और बहुत सारे निर्धारितीयो को परेशानी झेलनी पड़ेगी।
- स्कीम के अनुसार एक डिक्लेरेशन DA को सबमिट करना होगा। DA 15 दिनों में एक सर्टिफिकेट धारा 5(1) के अंतर्गत इश्यू करेगा जिसके अगले 15 दिन में टैक्स जमा कराया जा सकेगा। अब मार्च का महीना चल रहा है और 31 मार्च 2020 तक टैक्स ना जमा कराने पर 100% की जगह 110% जमा करना पड़ेगा। समय बहुत कम बचा है ध्यान रखिएगा। अगर पहले टेक्स जमा कराया और बाद में कोई कारण से प्रार्थना पत्र रिजेक्ट हो जाए तो जमा कराएं टैक्स के रिफंड के बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं है। सरकार को इस स्थिति पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। जब तक स्पष्टीकरण नहीं आए तब तक 10% बचाने के चक्कर में टेक्स् पहले किसी हालत में नहीं भरें।
- मान लो डिस्प्यूटेड टेक्स 10 लाख में से 5 लाख पहले से भरे हुए हैं और कब सिर्फ पांच लाख ही बाकी है। उस स्थिति में भी 31 मार्च 2020 के बाद टैक्स जमा करने पर 100% की जगह 110% 10 लाख रुपए पर लगेगा ना की बाकी बचे 5 लाख पर। सरकार को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। यह स्थिति बहुत केसेज में आएगी।
- जैसे ही आप को सर्टिफिकेट इश्यू होता है सीआईटी या आईटीएटी की अपील withdraw मान ली जाएगी। अब अगर कोई कारण से पैसे नहीं जमा करा पाए तो वह एप्लीकेंट कहीं का नहीं रहा। जबकि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दायर केस में यह सुविधा है कि एप्लीकेंट अपील withdraw करें तो यही सुविधा सीआईटी या आईटीएटी की अपील में क्यों नहीं है।
- DA के द्वारा की गई डिस्प्यूटेड टैक्स कैलकुलेशन फाइनल है अपीलेट को कोई भी तरह का मौका दिए जाने का विवरण नहीं है कि किस तरह से वह डिस्प्यूटेड टैक्स कैलकुलेशन पर अपना सबमिशन दे सके।
- जो अपील 31 जनवरी 2020 को कोई कारण से फाइल नहीं की जा सकी थी उसको नियमों के अनुसार कंडोनेशन आफ डिले की एप्लीकेशन के साथ अपील की जा सकती है और उचित कारण होने पर अपील की सुनवाई की जा सकती है। विशेष तौर पर उनके लिए जिन का आर्डर धारा 144 में हुआ है और निर्धारिती को स्थान परिवर्तन आदि कारणों से उस आर्डर की सूचना भी नहीं है। ऐसे कैसेज में भी इस स्कीम का लाभ लिया जा सके ऐसा होना चाहिए।
- धारा 115BBE की बहुत ज्यादा टैक्स रेट से 1.4.2016 से कई निर्धारितयों को ऑर्डर अपील में है उनकी टैक्स रेट इतनी ज्यादा है कि ऐसे कैसेज में इस स्कीम का लाभ लेना समझदारी का काम नहीं है क्यों नहीं ऐसे कैसेज में टैक्स रेट कम करके इस स्कीम का लाभ उनको भी प्रदान करें ताकि टैक्स विवाद के केसेस और कम हो सके। हाई टैक्स रेट कदाचित इसीलिए लगाई थी कि उस समय नोटबंदी के समय बैंकों में जमा राशि किसी और ने किसी और के लिए जमा कराई। इसलिए विशेष तौर पर उन करदाताओं के लिए टैक्स रेट कम हो जानी चाहिए जिन्होंने अपना खुद का पैसा जमा कराया है और उस पर एक निश्चित गाइडलाइंस निकाल कर इस विवाद को भी सुलझाना चाहिए।
9.30 जून 2020 तक खुली रहेगी यह योजना।
- इस योजना के तहत करदाता को यह अधिकार नहीं होगा की विवादित मुद्दों में से कुछ मुद्दे तो इस योजना में ले ले और बाकी मुद्दों की अपील जारी रखें। यानी कि इस योजना में आने के लिए संपूर्ण रूप से आना पड़ेगा ताकि बाद में उसका कोई अपील का मैटर नहीं रहे।
- टीडीएस एवं टीसीएस के मामले भी इस स्कीम में आएंगे। करदाता इसका लाभ ले सकता है।