मंजिल और मंजिल का आनंद- एक सारगर्भित बात
किसी ने कहा कहां से आ रहे हो मैंने कहा मूंदड़ा हाउस से
फिर पूछा कहां जाओगे मैंने कहा अपने ऑफिस।
क्या करते हो ऑफिस का काम करता हूं
क्या इसीलिए आए थे हां भाई हां काम करने ही तो आया हूं।
ऑफिस कहां है मैंने कहा सिविल लाइन
इससे पहले कहां थे मैंने कहा चोमू हाउस सी स्कीम में
अब वहां क्यों नहीं जाते अब जाकर क्या करूंगा अब तो वहां ऑफिस है
वह हंसने लगे जोर जोर से हंसने लगे और हंसते हंसते ही अंतर्ध्यान हो गए।अब मैं घबराया मेरे देखते-देखते अंतर्ध्यान कैसे हो गए। गहराई से सोचा। क्या मैं मूंदड़ा हाउस से आया हूं? नहीं यहां तो मैं 20 25 साल से रह रहा हूं। उससे पहले जोधपुर था और उससे पहले?
और भगवान फिर प्रकट हो गए मुस्कुरा कर बोले
सबसे पहले कहां से आए मैंने कहा भगवान के घर से
अब मैं होशियार हो गया हूं सही जवाब दूंगा
तो फिर बताओ आखिर में कहां जाओगे भगवान के घर ही जाऊंगा
यहां क्या लेकर आए थे मैंने कहा खाली हाथ ही आया था अच्छे पुण्य कमाए हुए थे इसलिए मानव शरीर में आया था
यहां से क्या लेकर जाओगे मैंने कहा खाली हाथ ही जाऊंगा
भगवान फिर मुस्कुराने लगे
तुम खाली हाथ नहीं जाओगे तुमने जो कर्म किए हैं
पाप के पुण्य के, झूठ के सच के उनको लेकर जाओगे
जिस तरफ का पलड़ा भारी होगा वैसा ही जीवन तुमने बिताया होगा
मानव बन कर भी मानव बने रहे पाए या पशु बन कर रहे
जैसा तुम रहे वैसे ही धरती के उस पार रहोगे
अंत समय में समझ आएगा लेकिन तब फिर क्या कर पाओगे
क्यों नहीं आज इसी पल से मानव बन कर रहना शुरू हो जाओ
और मेरी आंख खुल गई
क्या सपने में भगवान दिखाई दिए मैंने आसमां की तरफ देखा
भगवान मुस्कुराए
ब्रह्म
जीवन की यही सच्चाई है
जल्दी समझ जाओगे तो फायदे में रहोगे।
मैं तो समझने का प्रयास कर रहा हूं
सोचा आपको भी बता दूं
Happiness thinker bpmundra