आयकर छापे व सर्वे- Please click the link to see the video
1. आयकर छापे व सर्वे का मुख्य उद्देश्य आयकर की चोरी को पकड़ना या चोरी को रोकना है
a. आयकर का छापा पड़ने का मुख्य कारण इन में से एक है
i. धारा 131(1) या 142(1) में आए नोटिस का विधिवत रुप से पालन नहीं करना। मतलब जवाब नहीं देना या संतुष्टि पूर्ण रूप से जवाब नहीं देना।
ii. आयकर अधिकारी को यह विश्वास हो की निर्धारिती के पास अघोषित आय, संपत्ति, ज्वेलरी आदि कम से कम 50 Lacs है।
b. सर्वे होने का मुख्य कारण है की आप कोई भी कारण से आयकर अधिकारियों की नजर में हो जैसे कि आपने बहुत बड़ी कोई पार्टी की है या कोई शादी हुई है या कोई बहुत बड़ा कोई खर्चा किया है या आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी है उस समय आपके अघोषित आय या खर्चे से संबंधित जांच के लिए सर्वे हो जाता है
2. आयकर सर्वे एवं सर्च में निम्न अंतर है
a. आयकर की सर्च ऑफिस या घर या कोई भी place पर हो सकती है लेकिन सर्वे जहां आपका बिजनेस होता है सिर्फ वही होगा अगर आपका घर पर आपका ऑफिस है या आप की बुक्स वह पड़ी है तो ही घर पर सर्वे होगा सर्वे में पहले केवल बिजनेस या प्रोफेशनल गतिविधियों पर ही कार्य भी की जा सकती थी अब नए नियमों के अनुसार चेरिटेबल आर्गेनाइजेशन का भी सर्वे किया जा सकता है
b. सर्च के दौरान आपकी बुक्स, रूपए, ज्वेलरी या कोई मूल्यवान वस्तु जब्त की जा सकती है लेकिन सर्वे के दौरान केवल आपकी बुक्स इंपाउंड की जा सकती है
c. सर्च के दौरान आप या कोई भी वहां पर उपस्थित की फिजिकल जांच भी की जा सकती है लेकिन सर्वे के दौरान आप या कोई भी वहां पर उपस्थित की फिजिकल जांच नहीं की जा सकती
d. अब नए नियमों के अनुसार सर्च के दौरान या 60 दिनों के भीतर सर्च अधिकारी प्रिंसिपल डायरेक्टर या डायरेक्टर जनरल या प्रिंसिपल डायरेक्टर या डायरेक्टर की अप्रूवल लेकर निर्धारिती की संपत्ति को छह माह के लिए अटैच कर सकता है तथा उस संपत्ति की वैल्यूएशन भी करवा सकता है
e. सर्च के दौरान दिए गए स्टेटमेंट 132 (4) मे दिए जाते हैं इसलिए अगर आप समय पर इनको सबूतों के साथ नहीं नकारेंगे तो जो आपने स्टेटमेंट किए हैं वह मान्य हो जाएंगे और अंत तक आपके खिलाफ काम आएंगे लेकिन सर्वे के दौरान दिए गए स्टेटमेंट को आप कभी भी नकार सकते हैं लेकिन उसके लिए भी आपको सबूत तो चाहिए ही
f. सर्च करने के लिए अप्रुवल का अधिकार जॉइंट डायरेक्टर या जॉइंट कमिश्नर या इसके ऊपर के अधिकारी को पहले से ही था । सर्वे करने के लिए पहले प्रिंसिपल डायरेक्टर या डायरेक्टर या प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर की अप्रूवल लेनी पड़ती थी लेकिन अब इस का अधिकार जॉइंट डायरेक्टर या डिप्टी डायरेक्टर या असिस्टेंट डायरेक्टर को भी सोप दिया गया है
g. जब भी किसी के सर्च होती है और उसके यहां किसी ऐसे व्यक्ति के पेपर या संपत्ति आदि मिलते हैं तो उस व्यक्ति को भी धारा 153C मे नोटिस देकर कार्यवाही की जाती है उस कार्य को करने से पहले अधिकारी को एक सेटिस्फेक्शन नोट बनाना पड़ता है अगर उस सेटिस्फेक्शन नोट को नहीं बनाया जाता है या सेटिस्फेक्शन नोट सही नहीं बनता है तो कई बार विभिन्न न्यायालयो ने पूरा असेसमेंट खारिज कर दिया है इसलिए हमको सेटिस्फेक्शन नोट की कॉपी एवं नोटशीट की कॉपी लेनी चाहिए और उससे कई बार बहुत बड़ा लाभ हो जाता है
h. जब भी सर्च होती थी तो पहले धारा 132 में सर्च होने का रिजन रिकॉर्ड करना पड़ता था और कई बार रिजन रिकॉर्ड प्रॉपर नहीं होने पर assessee को इसका लाभ मिला है अब नए नियम के अनुसार रीजन रिकॉर्डेड को नहीं मागा जा सकता तथा कोई भी ट्रिब्यूनल या अधिकारी भी नहीं मांग सकता। मित्रों अब धारा 153A मे एक नया परिवर्तन हुआ है जिसके अंतर्गत सर्च होने के बाद फाइल जब सेंट्रल सर्किल में जाती है तो पहले तो जिसकी सर्च हुई है उन सभी का असेसमेंट करना अत्यावश्यक था लेकिन अब कर अधिकारी को रीजन रिकॉर्ड करना पड़ेगा और अगर कोई रीजन है तो ही धारा 153 ए में कार्यवाही होगी एवं असेसमेंट किया जाएगा अगर रिजन रिकॉर्डेड प्रॉपर नहीं है तो सारे असेसमेंट की कार्यवाही निरस्त की जा सकती है तो मित्रों मेरे हिसाब से तो नए बजट में इसका बहुत बड़ा लाभ हुआ है और जो अनावश्यक कार्य भी होती थी वह अब नहीं होगी या हो भी जाएगी तो निरस्त हो जाएगी कहने का तात्पर्य यह है कि अब आप सर्च होने का कारण नहीं मांग सकते लेकिन सर्च होने के बाद जो असेसमेंट की कार्यवाही होती है उसके पहले अधिकारी को असेसमेंट का कारण लिखना पड़ेगा और वह कारण आप मांग सकते हो और अगर वह कारण समुचित नहीं है या कारण नहीं लिखा है तो सारी कार्यवाही निरस्त हो जाएगी
3. जब भी आयकर का छापा पड़ता है एक व्यक्ति को निम्न चीजों का सामना करना पड़ता है
a. उसके पास जीतने भी लूज पेपर पड़े हैं उन पर लिखे हुए रकमो का हिसाब देना। इंसान का एक स्वाभाविक स्वभाव होता है जितने भी लूज पेपर पड़े होते हैं वह सोचता है कि यह कभी काम आएंगे। मेरे 30 साल की प्रेक्टिस के जीवन में मैंने पाया है कि वह सिर्फ उसके खुद के तकलीफ देने के अलावा कोई काम नहीं आता उसके कारण मानसिक तनाव आर्थिक हानि समय का नुकसान के इलावा कुछ भी हाथ नहीं आता। कई बार इंसान सोचता है कि यह लूज पेपर बिल्कुल सही है मैं इसका जवाब दे सकता हूं लेकिन मित्रों ज्यादा समय बीत जाने के बाद हमको याद नहीं आता कि यह पेपर किस काम का था और उसमें उसका संबंध खाता बही से दिखाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। समझदारी इसी में है कि रोज के रोज लुज़ पेपर को देखकर समझ कर फाड़ देना।
b. इसलिए समझदार व्यक्ति अपने सीऐ को भी कह कर रखता है कि जब आप ऑडिट करें तो मेंरे स्टाफ के पास कितने लूज पेपर्स या रजिस्टर या डायरी पड़े हैं उसका भी रिपोर्ट देवे। विशेष तौर पर अकाउंटेंट चौकीदार स्टोर कीपर सेल्स मैन प्रोजेक्ट डिपार्टमेंट खरीद विभाग प्रोडक्शन विभाग आदि में। रोज़ की रोज़ पेपर फाड़ना रोज़ की रोज़ अकाउंट्स को लिखना रोज़ की रोज़ हिसाब मिलाना अत्यावश्यक है इसकी तो नियम बना ले इसका नियम से पालन भी करें।
c. आपके पास जितनी भी ज्वैलरी पड़ी है इसके लिए आयकर विभाग का एक सर्कुलर भी निकला हुआ है जिसके अनुसार घर की प्रत्येक शादीशुदा महिला के लिए 500 ग्राम प्रत्येक अविवाहिता के ढाई सौ ग्राम तथा प्रत्येक पुरुष या बच्चे का 100 100 ग्राम ज्वैलरी तक कुछ भी नहीं पूछा जाएगा कि यह माना जाएगा यह घोषित है अगर आपको उससे ज्यादा ज्वैलरी घोषित सिद्ध करनी है तो उसका समय-समय पर निरीक्षण करके वैल्यूएशन करवाना यह देखना की सभी प्रकार की ज्वैलरी के बिल, उसके भुगतान की रसीद, उसका भुगतान करने का सबूत उस समय की बैंक स्टेटमेंट या बैंक की पासबुक की कॉपी आपके पास होना बहुत आवश्यक है।
d. रोज़ की रोज़ अपने बिजनेस वाली फर्मों के अकाउंटस को तो लिखना आवश्यक है ही। अपनी व्यक्तिगत खाता बही को भी रोज की रोज लिखाने की आदत डालें इसके लिए अपने अकाउंटेंट को कहे तथा अपनी ऑडिट वाली टीम को भी कहे की इसकी भी रिपोर्ट देवे
e. अपने कंप्यूटर को भी महीने में कम से कम एक बार चेक करने की आदत डालें व्यर्थ की फाइलों को हटाए व्यर्थ के हिसाब को भी हटाए समय-समय पर प्रॉपर फॉर्मेट कराएं सही ढंग से फॉर्मेट करने का तरीका सीख ले व्यर्थ की पेन ड्राइव फ्लॉपी आदि ना रखें समय-समय पर इनको भी चेक करना सीख लें अगर कोई कंप्यूटर पुराना हो गया हो और काम नहीं आ रहा तो उसको बेच दे।
f. अपने परिवार में भी समय-समय पर सारी अलमारी यों को चेक करें व्यर्थ के पेपर व्यर्थ के pen drive आदि वहां से भी हटा दें याद रखें इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जिसके ऊपर गुजरती है वही जानता है कि यह कितनी बड़ी और समझदारी की राय है अगर समय पर नहीं समझे तो बहुत बड़ी कीमत दे कर ही इसको समझना पड़ता है ।
g. मित्रों जब भी आप कोई मूल्यवान संपति खरीदें जैसे कार ज्वेलरी चांदी सोफा जमीन या जायदाद आदि तो उसका बिल वह भुगतान करने का सबूत बैंक पासबुक या स्टेटमेंट एवं जिसको भुगतान किया है उसकी रसीद एक अलग फाइल में डालने की आदत डाल दे उस फाइल में चाहे 10 साल पुराना भी बिल हो उसी में पड़ा रहने दे जब भी आयकर का छापा पड़ता है तो हर संपत्ति का जवाब देना पड़ता है अगर कोई संपति 10 साल पहले से खरीदी हुई है तो उसका कोई हिसाब नहीं देना पड़ता लेकिन यह साबित करना पड़ता है की इसे 10 साल पहले खरीदा गया था इसलिए बिल बहुत आवश्यक है कोई कारण से बिल नहीं मिल रहा है तो अन्य सबूत जैसे नगर निगम की कोई रसीद ।
h. इसी प्रकार से आपने कोई आयकर चुकाया है तो उसके चालान की प्रति को एक फाइल में डाले आयकर विभाग आपसे 15 साल पुराना या इससे भी ज्यादा पुराना डिमांड का नोटिस दे सकता है क्योंकि कोई समय सीमा नहीं है अगर आपके पास इसके भुगतान की चालान नहीं है तो आपको मय ब्याज के उसको भरना पड़ेगा।
i. अगर आप किसी फर्म में पार्टनर है या डायरेक्टर है और अब आपका उससे संबंध कोई कारण से हट गया है तो आप तुरंत उस से ऑफिशियली अलग हो जाएं। कारण की अगर उसके छापा पड़ेगा तो आप पर भी छापा पड़ेगा। ध्यान रहे ज्यादातर पूरे ग्रुप पर छापा पड़ता है और विभाग इस बात का ध्यान नहीं रखता कि अभी आप उस में एक्टिव नहीं। है। इसलिए आप जिस जिस में पार्टनर है या डायरेक्टर है तो आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए उस फर्म ने समय पर आयकर का विवरण भर दिया है तथा आयकर चुका दिया है। उस फर्म की आयकर विवरण, बैलेंस सीट, प्रॉफिट एंड लॉस एकाउंट, उस में विद्यमान खाते की कॉपी आदि अपने पास समय समय पर लेकर रखे
4. अब कुछ बातें आप के अधिकार के संबंधित
a. आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं छापा मारने वालों के आई कार्ड को मांगकर देख कर जांच कर की छापा मारने वाले आयकर अधिकारी ही है । आप सर्च वारंट भी देख सकते हैं। शुरू में आप उनकी भी तलाशी ले सकते हैं।
b. महिलाओं की जांच केवल महिला अधिकारी ही कर सकती है
c. अगर आपको बीमारी से संबंधित कोई प्रॉब्लम खड़ी हो गई है तो आप को यह अधिकार है कि आप डॉक्टर को बुलाएं इससे आपको कोई नहीं रोक सकता।
d. बच्चे समय पर स्कूल जा सकते हैं।
e. मित्रों बहुधा होता है कि आयकर अधिकारी जो छापे या सर्वे के दौरान आते हैं वह एक टारगेट लेकर चलते हैं और आपको डराते हैं धमकाते हैं कहते आपको जेल हो जाएगी आपके अगर सीए जो भी है उसको भी कई बार फोन पर आपके सामने डराते हैं और किसी तरीके से आपको नर्वस करना चाहते हैं अगर आकर घर पर बुरा मत कोई ब्लू फिल्म या विदेशी मदिरा परी हो या कोई ऐसा काम हो जिसमें आपको जेल हो सकती है तो उसको दिखा कर भी आप को डराते हैं उस उस समय आपको नर्वस होने की जरूरत नहीं है कारण यह है कि उन का एकमात्र टारगेट सरेंडर करा कर ज्यादा से ज्यादा टैक्स लगाना है आप यह बात अच्छी तरह से समझ लें कि जो आयकर अधिकारी आपको डराने आया है वह केवल आप को सरेंडर करा कर जाएगा छापा या सर्वे का काम वही खत्म नहीं होगा वह तो सिर्फ एक अपनी अप्रेजल रिपोर्ट बनाएगा और सेंट्रल सर्किल या आपके संबंधित वार्ड में अपनी रिपोर्ट देगा और उसके बाद कम से कम 1 साल बाद आप क्या केस का असेसमेंट होगा इसलिए आप जब भी सर्च हो या सर्वे हो तो शांति रखें और जब भी कोई आपको डर आए तो आप उस को समुचित व्यवहार के लिए कहें।
f. अगर कोई बात आपको ध्यान में नहीं आ रही है तो आप जल्दी-जल्दी में जवाब नहीं दें आपका छुटकारा जो ऑफिसर आए हैं उनके जाने से नहीं होगा बल्कि जो आप बोलोगे या स्टेटमेंट दोगे उसका जवाब प्रॉपर ढंग से कम से कम 1 साल बाद देने से ही होगा इसलिए आप कभी भी जल्दबाजी में कोई जवाब नहीं दें आपको अगर समझ नहीं आ रहा है तो आप कहिए थोड़ा रुकिए या यह कहिए कि मैं बुक्स देख कर जवाब दे सकता हू या आप कह सकते हैं कि अभी मुझे याद नहीं आ रहा है कृपया मुझे समय दीजिए याद रखें आप हर बात के लिए यह बात नहीं कह सकते लेकिन कोई भी महत्वपूर्ण बात के लिए आपको यही कहना है जो बात आपने कही है उसको आप अधिकारियों के जाने के तुरंत बाद लिख कर रख लें ताकि बाद में आप अपने सलाहकार से पूछकर उसके संबंधित जवाब तैयार कर सकते हैं क्योंकि समय बीतने के बाद में आप ने क्या कहा था आप भूल सकते हो
g. जो भी ज्वैलरी जब्त की जाती है उसकी एक प्रॉपर लिस्ट बनाई जाती है उसको एक या अधिक बॉक्स में सील किया जाता है इस समय आप कृपया ध्यान रखें कि उनको सही ढंग से रखा जा रहा है या नहीं। आपको अधिकार है कि आप कहें कि इनको ठीक ढंग से रखें।
h. ज्वेलरी का जब मूल्यांकन किया जाता है उस समय अगर वह ज्वैलरी आपकी नहीं है है तो आप स्पष्ट कर सकते हैं और अगर आपको ध्यान रहे जिस आदमी की ज्वेलरी है उसका नाम बता सकते हैं जब भी ज्वैलरी की मूल्यांकन होती है उसमें आप सावधानी बरतें इस समय अगर आप के बयान भी लिए जा रहे हैं तो आप उनको निवेदन करते हैं कि एक बार मूल्यांकन का काम हो जाए तो उसके बाद बयान जारी रख सकते हैं । कारण यह है कि अधिकारी उस समय कम-से-कम डब्बो में ज्वेलरी डालना चाहते हैं ताकि स्थान कम घेरे लेकिन उसके कारण बहुत सारी ज्वेलरी टूट जाती है और आप को नुकसान हो सकता है इसका कारण यह है कि बहुत बार आयकर अधिकारी भी चोर होते हैं और आपको बयानों में उलझाकर डायमंड गायब कर सकते हैं ऐसा पकड़ा भी गया है और जिनके यहां छापा पड़ता है उनको इसका बाद में अनुभव होता है इसलिए उस समय सावधान रहें
i. सर्वे या सर्च के दौरान स्टॉक का भी वेरिफिकेशन किया जाता है उस समय बहुत ज्यादा सावधानी की जरूरत है अगर आयकर अधिकारी आइटम का नाम गलत लिख देंगे या आइटम की संख्या कम या ज्यादा लिख देंगे तो उसको बाद में सही कराना बहुत मुश्किल है जो वस्तु है उसकी दर या रेट तो आप बिल के द्वारा वेरीफाई करा सकते हैं लेकिन आइटम का नाम या उसकी संख्या को वेरीफाई कराने में बहुत ज्यादा मुश्किल है और आपको यह प्रमाणित करना पड़ेगा की स्टॉक का वेरिफिकेशन हीं गलत हुआ है इसलिए उस में बहुत सावधानी रखनी चाहिए अगर आप पर कोई अनुचित दबाव डालता है तो आपको और नहीं डरना चाहिए
5. जब आयकर का छापा पड़ता है या सर्वे होता है तो उसके बाद मैं आयकर अधिकारी को उसकी एक रिपोर्ट बनानी होती है उस समय कई बार आयकर अधिकारी को लगता है कि कोई बात छूट गई है तो ए क्या कुछ अधिकारी आपके यहां वापस सर्च या सर्वे के लिए आ सकते हैं सो कृपया ध्यान रहे